दाहिना हाथ कटने के बावजूद बायें हाथ से बीपीएससी का एग्जाम देकर बिहार के चंद्रशेखरसिंह बने अंकेक्षण पदाधिकारी

पंचायत रोजगार सेवक की ट्रेनिंग के दौरान हादसे में अपना दाहिना हाथ गंवाया
दाहिना हाथ कट जाने के बावजूद बायें हाथ से लिखने की कड़ी प्रैक्टिस करने के बाद बीते दिन बीपीएससी द्वारा आयोजित सहायक अंकेक्षक पदाधिकारी प्रतियोगिता परीक्षा देकर बिहार के कैमूर जिले के सरैयां गांव के सुखराम सिंह के पुत्र चंद्रशेखर सिंह एएओ (सहायक अंकेक्षक पदाधिकारी) बन गये हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपना कैरियर स्थापित करने के लिए काफी उतार-चढ़ाव जैसी परिस्थितियों का सामना किया है।
चंद्रशेखर सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा पड़ोसी गांव उमापुर से पूरी की तथा मैट्रिक प्रखंड मुख्यालय स्थित हाई स्कूल से उत्तीर्ण किया। इंटर व स्नातक की पढ़ाई जिला मुख्यालय स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल कॉलेज से पूरी की, फिर अर्थशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई इग्नू से पूरी की। चंद्रशेखर वर्तमान में भभुआ प्रखंड की डिहरा पंचायत में पंचायत रोजगार सेवक के पद पर कार्यरत हैं।
चंद्रशेखर सिंह की कहानी काफी रोचक है, वे कितने प्रतिभावान युवा हैं, वह इस बात से ही पता चल जाता है कि 2006 में उन्होंने सीआइएसएफ तथा बिहार पुलिस में दरोगा की परीक्षा दी थी, जिनका रिजल्ट 2008 में जारी हुआ और दोनों ही परीक्षाओं का परीक्षा फल उनके पक्ष में आया, इसके बावजूद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। आये उक्त दोनों रिजल्ट का वह जश्न भी मना पाते, उससे पहले ही पंचायत रोजगार सेवक की एक खास ट्रेनिंग के दौरान चैनपुर प्रखंड के ब्यूर गांव के निकट हादसे में उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया।
फिर उनके सभी किये कराये पर पानी फिर गया और जिंदगी की राह ज्यादा कठीन मालूम पड़ने लगी। फिर भी चंद्रशेखर ने कभी भी हार नहीं मानी और दाहिना हाथ कट जाने के बाद उन्होंने बायें हाथ से लिखने का अभ्यास शुरू कर दिया और एक-एक शब्द को हजार बार लिखने के साथ-साथ दिन-रात एक करके निरंतर परिश्रम करते रहे. इस दौरान कई बार आयोजित लेखा पदाधिकारी प्रतियोगिता परीक्षा में मामूली अंकों से चूकते रहे। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लायी और बीते दिनों बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा उत्तीर्ण कर सहायक अंकेक्षक पदाधिकारी के लिए चयनित हो गये। उनकी इस सफलता को लेकर गांव तथा पड़ोस के गांवों में खुशी का माहौल है, उन्हें बधाई देने के लिए उनके दरवाजे पर लोगों का तांता लगते देखा गया है।
उनके बहनोई शम्भू सिंह (जन संपर्क निरीक्षक-भावनगर रेलवे मंडल) ने बताया कि चंद्रशेखर सिंह बचपन से ही पढ़ने लिखने में काफी रूचि रखते थे। हादसे में दाहिना हाथ कट जाने के बाद बायें हाथ से लिखने की प्रैक्टिस करने के दौरान उनकी हथेली में छाले तक पड़ जाते थे। सहायक अंकेक्षक पदाधिकारी की कुर्सी मिलने के बाद सभी उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं, निसंदेह चंद्रशेखर सिंह आज की पीढ़ी के छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। चंद्रशेखर सिंह ने अपने इस अद्भुत सफलता का श्रेय अपनी माता अनारकली देवी, पिता सुखराम सिंह, चाचा विजय नारायण सिंह, बड़े भाई संतोष कुमार सिंह (रेलवे में स्टेशन अधीक्षक) तथा अपने सहयोगी साथियों एवं गुरूजनों को दी है।
शम्भू सिंह
जन संपर्क निरीक्षक
पश्मिम रेलवे, भावनगर मंडल

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